नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: तूने 'मन-भर’ पिलाया, हमने 'मन भर’ पी लिया!
दिल्ली में बाबा जी महाराज अनेक घरों में डोलते फिरते थे अपनी करुणा-दया-कृपा की लीलायें करते । सुप्रसिद्ध विश्व-ख्याति प्राप्त सर्जन, डा० एन० सी० जोशी जी की पुत्री, निर्मला (निम्मी) के घर भी जाते रहते थे । एक बार निम्मी के मन में आया कि अबकी बाबा जी के साथ जितने भी भगत आयेंगे सबको मन-भर दूध अर्पित करूँगी । (बाबा जी निम्मी जी के यहाँ केवल दूध ही पीते थे ।)
उक्त विचार के अनुसार उसने बाबा जी के आगमन के एक दिन पूर्व ही एक मन (चालीस सेर) दूध मँगवाकर रख लिया । बाबा जी आये सदा की तरह कुछ भक्तों को लिये । आते ही कहा, “दूध ला मेरे लिये ।” एक बड़े गिलास में दूध आ गया बाबा जी के लिये। एक साँस में पी गये । “और ला ।” वह भी उदरस्थ हो गया। “और ला ।” पुनः आ गया भरा गिलास ।
वह भी स्वाहा हो गया और फिर, “और ला, और ला” होती रही, दूध से भरे गिलास आते रहे, बाबा जी पीते रहे नौकर से और दूध मँगवा लूँ । अन्तर्यामी तत्काल बोल उठे, “नहीं, अब एक मन दूध शेष हो गया !! तब निम्मी जी ने सोचा कि नहीं । तूने 'मन-भर’ पिलाया । हमने 'मन भर’ पी लिया !!” और उठकर चल दिये। (उषा बहादुर - दिल्ली)