नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : शुभ कार्य की ईच्छा
एक बार श्री माँ कई माइयों के साथ बाबा के दर्शन करने शाम बहुत देर से कैंची पहुँची। बाबा वहाँ नहीं थे। वे भूमियाधार चले गये थे । कोई साधन उस समय नहीं था माइयों के पास वहाँ तक जाने का । बारह किलोमीटर का रास्ता था, सभी बिना कूच खाये पिये पैदल ही चल पड़ी, रात का समय था ।
उस अंधेरे में कहीं से एक काला कुत्ता आ गया और मानो उनकी सुरक्षा हेतु बराबर रास्ते भर उनके साथ रहा । अर्ध रात्रि जब माँ भूमियाधार पहुँची तो सोचा कुत्ते को कुछ खाना खिला दे पर वे ऐसा ओझल हुआ कि फिर दिखाई नहीं दिया ।
बाबा भूमियाधार से ही सब देख रहे थे । उन्होंने पहले से ही ब्रह्मचारी जी को भोजन बनाने का आदेश दे दिया था । वे आप लोगों की प्रतीक्षा में ही बाहर बैठे थे । वहाँ पहुँचते ही आपको गर्मा गरम भोजन मिला । फिर आपने बाबा के दर्शन किये तो वे बोले,"शुभ कार्य की इच्छा को भय वश दबाना नहीं चाहिये । ""
जय गुरूदेव
आलौकिक यथार्थ