नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : आप कौन है ?
महाराज जी की विस्मयकारी लीलाएँ देखकर रंजनी जोशी ने एक बार उनसे प्रश्न किया : "महाराज आप कौन है ?" बाबा अक्सर मुस्कुरा देते थे ।एक दिन रंजनी ने फिर यही प्रश्न किया, तो महाराज सुबह से ही रंजनी को अपने साथ ले चले ।
एक दो घरों में अपनी लीलाँऐ करने के बाद बाबा जी रंजनी को शिवदत मण्टन जी के घर ले गये और सीधे उनके पूजा घर में ले गये । वहाँ रंजनी ने देखा कि मण्टन जी की पत्नी महाराजजी के चित्र के सम्मुख वीरासन में बैठी अविरल अश्रुपात करती रामायण का वे प्रसंग पड़ रही है जहाँ शबरी श्री राम जी की आराधना कर रही है ।
एक पुरानी सी धोती पहने शबरी की तरह वहाँ थी, प्रसाद रख कर वे अक्सर पाठ करती थी । बाबा जी और रंजनी कुछ देर तक वे भाव-पूरित पाठ सुनते रहे । उधर बाबा की आँखों से अश्रुपात होता रहा । तभी बाबा रंजनी से बोले," अब न समझी तू ? ( कि मैं कौन हूँ)" उनकी बातें सुनते ही श्श्रीमती मण्टन बाबा के चरणों में लिपट गई शबरी की तरह ।
राम !! राम !! राम !!
जय गुरूदेव