नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: तुम रक्षक काहू को डर ना!
(स्व०) कन्हैयालाल श्रीवास्तव (कटरा-इलाहाबाद) बाबा जी महाराज के अनन्य भक्त रहे । २० जुलाई १९६१ को इनके बड़े पुत्र श्री प्रकाश नारायण (तब डिवीजनल मैनेजर, टेलीफोन्स, ईस्टर्न जोन) इम्फाल से बर्मा बार्डर पर अपने अधीनस्थ इंजीनियर के साथ किसी संयंत्र का निरीक्षण करने जा रहे थे कि जंगल की राह में एक युवक ने इनकी जीप रोक ली।
तभी ७८ युवकों ने ए० के० ४७ राइफल लिये इन्हें घेर लिया। तथा उतर कर जीप छोड़ देने को कहा। प्रकाश जी बाबा महाराज का ध्यान कर उनका स्मरण करने लगे 'तुम रक्षक काहू को डरना' वाले बाबा जी ने इन्हें मनोबल दे दिया और इन्होंने जरा भी घबराहट नहीं दिखायी। बहस करने लगे कि सरकारी जीप है, मेरी नौकरी चली जायेगी, आदि । साथ में मुस्कुराते रहे ।
उग्रवादियों के पास तो एक ही तरीका होता है अपनी बात मनवा लेने का – अगर सीधी तरह न मानो तो धाँय-धाँय, और खेल खत्म। पर मानो बाबा जी ने इन सबकी मन-बुद्धि पर कब्जा कर लिया हो वे बोले, “नौकरी नहीं जायेगी । यहीं पास की - झोपड़ी में बैठो । हम आधे घंटे में एक मरीज को अस्पताल पहुँचा कर जीप वापिस कर देंगे।"
प्रकाश जी ने भी इसी में कुशल देखी और दोनों अपना सामान उतार कर झोपड़ी में चले गये प्रकाश जी का मनीपुरी ड्राइवर उन उग्रवादियों को जीप में बिठा कर ले गया। कुछ देर बाद, मानो बाबा जी ने इनसे कहा हो भाग जाओ ।ये घबराकर झोपड़ी से बाहर निकल आये तभी २-३ महिलायें वहाँ प्रगट हो गईं । और उस झोपड़ीनुमा मकान में ताला लगा कर अन्यत्र चली गईं।
इनका सामान वहीं बन्द हो गया । अब इन्होंने मंत्रणा की कि अभी तक तो कुशल है, उनके लौटने पर हमारा अपहरण भी हो सकता है। भाग चलो। सो ये भाग कर पुनः सड़क पर आ गये । बाबा जी की कृपा से इन्हें एक सवारी गाड़ी भी मिल गयी और ये वापिस इम्फाल आ गये और वहाँ रिपोर्ट दर्ज करा दी ।
कई घंटों के बाद इनका मनीपुरी ड्राइवर मय जीप और सामान के लौट आया । उसने बताया कि एक मरीज को अस्पताल पहुँचा कर ये उग्रवादी मार्केट गये और वहाँ कुछ गोलीबारी कर एक जवान महिला का अपहरण कर लाये !! पर बाबा जी ने तो अपना खेल पूरा कर अपने भक्त के पुत्र को बचा ही लिया था ।