नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जब हनुमान जी की मूर्ति स्थापना पर आए दो विशालकाय सांड
जब इस प्रकार स्थान तथा भूमि का परिष्करण हो गया, वातावरण शुद्ध हो गया तो एक दिन बाबा जी कुछ भक्तों से यह कहकर ले गये कि अबकी मंगलवार को थोड़ी सी जमीन खोद जगह बनाकर श्री हरीदत्त कर्नाटक द्वारा बनाये गये हनुमान जी को बिठाना। और इस प्रकार बजरंगगढ़ की स्थापना का श्री-गणेश कर दिया बाबा जी ने ।
कथा लम्बी है और उसके अन्तर्गत महाराज जी की लीलाएँ भी अनेक है, पर संक्षेप में ये ७-८ भक्त लालटेनों के साथ पूरी-पकवान, मिठाई, फल, फूल, धूप, शंख, घंटादि एवं पूजा की अन्य समस्त वस्तुएँ, साथ में कुदाल-फावडा लेकर मंगलवार की शाम को उस पहाड़ पर हनुमान-विग्रह को लिये पहुँच गये ।
कई घंटों तक बजरी को खोदते खोदते किसी तरह हनुमान जी के विराजने लायक स्थान बनाकर जब हनुमान विग्रह को वहाँ शंखध्वनि, घंटा-घडियाल वादन एवं हनुमान जी एवं महाराज जी के जैकारे के साथ स्थापित किया गया तो एक कि०मी० दूर जिला जेल के घंटे ने रात्रि के बारह बजाये ॥
और जब भोग अर्पण कर आरती होने लगी तो विकट आकार बड़ी-बड़ी सींग वाले दो सांड (एक काला और एक सफेद) एकाएक वहाँ प्रगट हो गये हनुमान जी के चरणों में अपने सींग झुकाते !! (मानो एकादशरुद्र को नन्दी अपने दो रूपों में - एक सात्विक रूप में भक्तो की सात्विक भक्ति का प्रतिरूप और दूसरा रौद्र रूप में भक्तों की रक्षा हेतु दुष्टों को दमन करने के लिए प्रणाम कर रहे हो ॥)
यह सब देखकर एक भक्त के भय से चिल्ला देने पर एक साइड तो तुरन्त लोप हो गया । दूसरे को जब भोग की पूरियों खिलाई गई तो वह भी उसके उपरान्त गायब हो गया !! (पहाड़ों में इतने ऊँचे-बड़े-स्थूलकाय साँड़ कल्पनातीत तब ।)
-- अनन्त कथामृत के सम्पादित अंश