नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: कैंची धाम आयीं दो अमेरिकन महिलायें पर ...

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: कैंची धाम आयीं दो अमेरिकन महिलायें पर ...

कैंचीधाम में दो अमेरिकन महिलायें आई थीं भारतीय नाम क्रमशः गंगा एवं जानकी । गंगा कुछ भारी शरीर की और लम्बी चौड़ी थी पर जानकी साधारण शरीर एवं कद की थी। दोनों ही बड़े मनोयोग से मेरे द्वारा कही बाबा जी की चर्चायें सुनती थीं तथा उसी भाव से महाराज जी के मंदिर में प्रार्थना में सम्मिलित होती थीं।

कुछ काल कैंची में रहने के उपरान्त उन्हें पेट की कुछ ऐसी शिकायत हो चली कि वे कुछ भी खा-पी न सकती थीं आँव एवं उल्टी से त्रस्त हो गईं। न तो उनकी अमेरिकन दवायें इस काम आ सकीं और न भारतीय उपचार। उनकी हालत बिगड़ती गई और अन्त में उन्होंने निर्णय लिया कि तत्काल स्वदेश लौटकर अपनी जीवन-रक्षा कर लें मुझसे ये सब बातें कह वे दिल्ली को वापिस चली गईं वहाँ से स्वदेश लौट जाने हेतु ।

परन्तु जब मैं सितम्बर माह में बाबा जी महाराज की पुण्यतिथि में सम्मिलित होने वृन्दावन आश्रम पहुँचा तो देखा कि वे दोनों भी वहाँ मौजूद हैं तथा आश्रम की हर भोग-प्रसाद की वस्तुएँ मजे में खा-पी रही हैं !! मैंने उनसे पूछा, “तुम तो भारतवर्ष से मौत के भय से भाग रही थीं, अब यहीं कैसे हो फिर से ?" तब उन्होंने कहा कि दिल्ली पहुँचकर भी हम उसी हालत में रहे|

एक होटल में अपनी उड़ान की प्रतीक्षा में लेटे रात को महाराज जी से रोकर कहा, "बाबा, हम तो तुम्हारे आश्रम में रहने को आये थे और तुम्हारा भण्डारा-प्रसाद पाना चाहते थे । पर अब हमें इस बीमारी के कारण भागना पड़ रहा है । हमें ठीक कर दो न (कि हम यहीं रह जायें)” तो जब हम सुबह उठे तो पाया कि हमें न तो डाइरिया-डीसेन्ट्री है और न उल्टी की शिकायत !! हम बिल्कुल ठीक हो गये थे । कुछ दिन दिल्ली में बिताकर अब हम यहाँ आ गई हैं और महाराज जी के भण्डारे की सब चीजें मजे में खा-पी रही हैं !!

बाबा जी जब स-शरीर थे तो उन्होंने मेरा डाइरिया स्वयँ ग्रहण कर मुझे चंगा कर दिया था । पर आज तो निर्गुण-प्रवेश के बाद भी उन्होंने ऐसा ही कर दिया गंगा और जानकी के लिये !!

-- केहर सिंह

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