नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जब बस दुर्घटना ग्रस्त हुई…
तीसरा प्रसंग सन् 1984 में निर्वाण दिवस के पन्द्रह-बीस दिन पूर्व का है। मैं आगरा पं. श्री धर्मनारायण शर्मा जी से किसी कार्यवश मिलने जा रहा था। मथुरा बस स्टैण्ड पहुँचकर मुझे एक अनुबन्धित प्राइवेट बस तैयार मिल गई और मैं इस नई बस में रिकार्ड आदि सुनने के आकर्षण में बँधकर बैठ गया। कुछ ही देर बैठा था कि मन ने उचाट आयी और मैं बस से नीचे उतर गया। वह बस आगरा को चली गई।
इसके तुरन्त बाद मथुरा-मैनपुरी मेल, जो खटारा गाड़ी थी, उसमें मैं बैठ गया। जिस गाड़ी में, मैं सबसे आगे बैठा था, वही वीडियो कोच मथुरा-आगरा मार्ग पर 'बाह' के पास ट्रक से टकरा जाने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। मैंने देखा कि इस दुर्घटना में मृतकों की • संख्या तीन से ऊपर थी और अनेक लोग घायल हो गये थे। मरने वाले वे ही थे, जो आगे बैठे थे, उस बस में, मैं भी आगे बैठने वालों की संख्या में होता, किन्तु महाराज जी ने मुझे पहले ही इस दुर्घटना ग्रस्त होने वाली बस से उतार दिया था।
भगवान की जिस पर कृपा होती है, उसका हर जगह कल्याण होता है।
इस चमत्कार को देखकर, मैं रोमांचित हो उठा और मेरी आँखों में आँसू झर-झर कर गिरने लगे। मैं इतना भाव-विभोर हो गया कि पास बैठे व्यक्ति पूछने लगे कि "तुम्हारा कोई परिचित, क्या दुर्घटना ग्रस्त हो गया है?” मैं उनको कुछ न बता सका और प्रभु की लीला का स्मरण करके जीवन रक्षक श्री महाराजजी का ध्यान करने लगा।
जिन भक्तों ने बाबा के दर्शन किये हैं वे कहते हैं, कि अब हमें बाबा जी स्वप्न में भी दर्शन नहीं देते परन्तु जिन लोगों को दर्शन नहीं मिलते थे, आज उन्हें दर्शन प्राप्त हो रहे हैं। यह महाराज जी की विचित्र लीला है।
आज मैं महाराज जी की कृपा से नींद न आने के कारण उनके गुणगान की चर्चा अर्धरात्रि गये एक बजे तक करता हूँ। यह सब कुछ महाराज जी की प्रेरणा से सम्भव हुआ जिसे मैं उलटा-सीधा लिख पाया हूँ। भगवान की जिस पर कृपा होती है, उसका हर जगह कल्याण होता है।
!! राम !!