नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ: एक भक्त को झट से नौकरी दिलवायी
एक दिन एक नौजवान बहुत आतुर होकर बाबा के पास एक ऐसी नौकरी दिलवा देने हेतु आ गया। जिसके लिये गुप्तचर विभाग के किसी बड़े अफ़सर की संस्तुति परमावश्यक थी । बाबा जी उसे सीधे त्रिपाठी जी के पास ले गये और उनसे कहा- "तू लिख दे इसे कि ये मेरा लड़का है ।"
त्रिपाठी जी के कोई संतान नहीं थी। तब एक ऊँचे ओहदे पर प्रतिष्ठित सरकारी अफ़सर के लिये इतनी स्पष्ट झूठ लिखना तो दरकिनार, बोलना तक उसके व्यक्तिगत चरित्र पर कितने बड़े लांछन का कारण बन जाता और क़ानूनन भी कितना बड़ा अपराध हो़ता? कल्पना की जा सकती है ।
पर बाबा जी केवल एक बार ही के कहने पर त्रिपाठी जी ने उस लड़के की अर्ज़ी पर आँख मूँदकर लिख दिया- "यह मेरा लड़का है"। लड़के को नौकरी मिल गई और बाबा जी की आज्ञा के पालन में किया गया ये अपराध त्रिपाठी जी को छू तक न सका । बाबा उसे कहते, "जब जानकी नाथ सहाय करें तब कौन बिगाड़ सके नर तेरो ।"
जय गुरूदेव
अन्नत कथामृत