नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जब महाराज जी भक्त के बिस्तर के नीचे छिप गए
महाराज जी किसी भी समय, दिन हो या रात, अचानक किसी भक्त के घर प्रकट हो जाते थे। 1940 के दशक की शुरुआत में एक बार मध्यरात्रि में वह एक भक्त के घर का दरवाजा पीटते हुए आए । उन्होंने घर के आदमी को जगाया और कहा कि अन्य भक्त उसका पीछा कर रहे हैं। वे उन्हें कोई शांति नहीं छोड़ेंगे और इसलिए वह आश्रय मांग रहा था। उस आदमी ने कहा, "मैं आपकी कैसे मदद कर सकता हूं? जैसे ही वे आपको याद करेंगे, वे यहां आ जाएंगे।"
"सब ठीक हो जाएगा," महाराज जी ने कहा। "मैं तुम्हारे बिस्तर के नीचे छिप जाऊंगा। दरवाजे और खिड़कियां बंद करो, मुझे एक चटाई और एक कंबल दो, और जब वे आते हैं, तो तुमने मुझे नहीं देखा।" उस ने वैसा ही किया जैसा उसे बताया गया था, और जब वे आए, तो उसने उन्हें जगाने के लिए उन्हें बुरी तरह गाली दी, और फिर उसने गुस्से में उन्हें विदा कर दिया। महाराज जी उस आदमी के बिस्तर के नीचे सो गए, चादर को नीचे फर्श पर खींच कर छिप गए।
वह आदमी प्रातः 4:00 बजे जागा, और महाराजजी को न देखकर उसने दूसरे कमरे में देखा और फिर दूसरे में। हालांकि दरवाजे और खिड़कियां अभी भी बंद थे, महाराज जी कहीं नहीं मिले। बाद में उन्हें पता चला कि महाराज जी उस घर में लौट आए हैं, जहां से वे एक रात पहले भागे थे। बंद दरवाजों और खिड़कियों के बारे में महाराज जी ने केवल इतना कहा, "ओह, मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता था।"