नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: आधी रात को दाल-रोटी खाने की ज़िद
भूमियाधार में आश्रम में एक रात भोजनोपरान्त महाराज जी विश्राम हेतु अपने कक्ष में जा चुके थे। तभी २ बजे रात एकाएक उन्होंने हलचल मचानी प्रारम्भ कर दी कि हम तो दाल रोटी खायेंगे । श्री माँ ने तथा अन्य भक्तों ने उन्हें स्मरण दिलाया कि अभी साढ़े नौ बजे रात वे अपना नियमित प्रसाद पा चुके हैं, पर वे बाल सुलभ जिद में अड़ गये कि हम तो अभी खायेंगे दाल रोटी ।
महाराज जी की इस जिद के आगे किसी का वश चलना तो संभव न था । अतः श्री माँ और ब्रह्मचारी बाबा ने चूल्हा आदि जला कर उनके लिये पुनः दाल रोटी बनाई जिसे न केवल बाबा जी ने पाया बल्कि अपने उपस्थित भक्तों को भी पवाया ।
महाराज जी के इस व्यवहार के रहस्य को तब तो कोई न समझ पाया पर तीसरे दिन ज्ञात हुआ कि उनका एक अनन्य भक्त उस रात मृत्यु के समय दाल रोटी की प्रबल इच्छा कर बैठा था, परन्तु उसके घर वालों ने उसे उस स्थिति में दाल रोटी देना उचित न समझा था । उसके मृत्यु के समय की यह इच्छा बाबा जी ने स्वयँ दाल रोटी प्राप्त कर पूरी कर दी थी उस रात !! (उसे मुक्त करने को ?)