नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : जब महाराज जी के भक्त के घर आए शिरडी साई नाथ

नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : जब महाराज जी के भक्त के घर आए शिरडी साई नाथ

बाबा की महासमाधि के बाद की है । मुकून्दा बताते है कि मैं अपने घर के बाहर पौधो में पानी दे रहा था तभी श्वेत वस्त्र धारण किये , झोला लटकाये , एक पुस्तक हाथ में लिये एक व्यक्ति मेरे पास आकर खड़ा हो गया । उसने मुँझे इशारे से बूलाया । मैंने सोचा चन्दा माँगने वाला है, कुछ पैसे देकर टालना चाहा, पर वे बोला मुझे पैसे नहीं, पानी चाहिये पीने को।

मै शिरडी से आया हूँ , मैंने उन्हें कुर्सी पर बिठाया और पत्नी को बताया। तब उन्हें पानी और प्रसाद खिलाया । वे कहने लगा कि वे शिरडी से आया है आप लोग भी वहाँ आये - सबके मनोरथ पूरे होते है । तब पत्नी ने कहा ," बाबा हम लोग पहले से दीक्षित है और अब हमें अपने गुरू जी के अलावा किसी से अपेक्षा नही । हमारे गुरू जी ,"नीब करोली बाबा है ।"

तब वे बोला ," ये तो बड़ी अच्छी बात है गुरू-भक्ति से सब कुछ प्राप्त हो जाता है " और पुनः: बोला ," तुम्हारे तीन बेटे है। दो तो ठीक है। पर एक कुछ चंचल है । एक और भी बेटा है तुम्हारा जो दूर से तुम्हारी सेवा करता है । उस वक़्त चौथे बेटे के नाम पर मेरा ध्यान अपने भतीजे रब्बू की तरफ़ चला गया । "अपने तीसरे बेटे से कह देना अप्रैल में उसे नया काम मिल जायेगा । पर उसे कह देना साझे में कोई काम न करे ।"

"तब पत्नी को लगा कि ये अपनी बातों से हमें लुभा रहा है । पत्नी ने उसके झोले में जाते जाते कुछ फल और ११ रू डाल दिये । जाते जाते उसने शिरडी आने का निमंत्रण फिर से दिया, अपना नाम जगन्नाथ बताया और कहा शिरडी आने पर मेरा नाम लेना सब इन्तज़ाम हो जायेगा । वे चला गया पर उसकी बात हमारे दिमाग़ में कौंध रही थी ," एक और है जो दूर से तुम्हारी सेवा करता है ।

तभी पत्नी को याद आया कि एक बार महाराज ने उससे कहा था , " तेरे तीन तो थे ही एक मैं भी हे गया ।" बाबा, दौड़कर हम बाहर आये , लेकिन उनका कहीं पता नही । सिर्फ २ मिनट लगे और वे गायब । बाबा आये किसी भी रूप में ये हमारे अहोभाग्य थे । बेटे को भी अप्रैल में काम मिल गया । बाबा के वचन जो थे , सत्य तो होने थे ।

जय गुरूदेव

अनंत कथामृत

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