नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जब महाराज जी की गुफा को मंदिर स्वरूप दिया गया
गुफा को मंदिर का स्वरूप देते हुए उसको वर्षा एवं जानवरों से बचाने हेतु श्री विनोद जोशी ने श्री पी० के० चोपड़ा जी के सहयोग से उसे चारों ओर ग्रिल से घेरकर तथा ऊपर टिन की ढालदार छत से सुरक्षित कर दिया। अगले वर्ष ग्रिल को भी जालियों से घेरकर पक्षियों और छोटे जानवरों से भी गुफा को सुरक्षित कर दिया गया।
इन कार्यों की सफल पूर्णता हेतु श्री सर्वदमन सिंह जी 'रघुवंशी' (श्री इन्दर जी) का भी तन-मन-धन से यथोचित सहयोग प्राप्त होता रहा । तब से ही दुर्गा देवी, हनुमान जी, शंकर जी एवं महाराज जी के साथ साथ इस गुफा मंदिर का भी नियमित रूप से उसी श्रद्धा-भक्ति से आरती-पूजन होता है ।
अपनी इन्हीं यात्राओं के मध्य श्री माँ ने बाबा जी महाराज की लीलाओं की ग्रामवासियों से चर्चा करते करते बाबा जी का चिमटा एवं कमण्डल भी, जिन्हें लेकर वे नीब करौरी आये थे तथा यहीं छोड़ भी गये थे, स्थानीय भक्तों से प्राप्त कर कैंचीधाम में महाराज जी की अन्य पुण्य स्मृति सूप वस्तुओं के साथ सुरक्षित कर लिया ।
(अनंत कथामृत से साभार)