नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जब सोते हुए महाराज जी की साँस से राम राम के जाप की आवाज़ आने लगी

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जब सोते हुए महाराज जी की साँस से राम राम के जाप की आवाज़ आने लगी

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दिसम्बर १९६८ अन्तिम सप्ताह, शाम साढ़े सात-आठ बजे । “हम तो ठंड से मर गये । हम तो ठंड से मर गये ।” बार बार यही - दुहराते हुए महाराज जी दादा के घर अपने शयन कक्ष में पहुँच बिस्तरे पर लेट गये । एक रजाई, एक कम्बल और फिर दूसरा कम्बल, और फिर भी ठंड से मर गये की रट । उस छोटे-से कमरे की एकमात्र खिड़की और दरवाजा बन्द कर देने की आज्ञा हुई । फिर सिगड़ी में आग जलाई गई, ऊपर तवा रख कपड़े की मोटी तह बना उसे गरम कर सेंक दिया गया। घुटनों से ऊपर तक । थोड़ी ही देर में हम ३-४ आदमी जो कमरे में थे, विकल होने लगे गरमी से । कुछ देर में महाराज जी सो गये खर्राटे लेते हुए !! हम आश्वस्त हुए ।

पर तभी मुझे राम-राम सुनाई देने लगा कुछ फुसफुसाहट लिये शब्दों में । मैंने उपस्थित लोगों की तरफ देखा एक एक कर कौन जाप कर रहा है राम नाम का ? पर सभी चुप हुए महाराज जी को ही निहार रहे थे । तब ऑडिट वाला दिमाग काम करने लगा । मैं कुछ नजदीक खिसक गया बाबा जी के सिरहाने की तरफ । अब राम राम और भी स्पष्ट रूप से सुनाई देने लगा । महाराज जी के मुँह की ओर दृष्टि की तो पाया उनके तो ओंठ बन्द थे । तब और करीब चला गया बिल्कुल मुँह के पास पाया महाराज जी के श्वास-प्रच्दवास के साथ ही राम-राम उच्चरित हो रहा था !!

उस वक्त तो मैं केवल इस घटना का ही आनन्द लेता रहा परन्तु महासमाधि के उपरान्त मनन-काल में सत्य प्रस्फुटित हो उठा । महादेव (सदाशिव) भी तो सदैव एक महामंत्र जपते हैं राम राम ।“महादेव सदा जपत एक नाम राम । काशी मरत मुक्ति देत कहत राम राम ।। " और शंकर के ही शब्दों में भी तो 'सोइ मम इष्ट देव रघुबीरा।'

तब रुद्रावतार बाबा जी महाराज का श्वास-प्रच्छवास से भी इसी प्रकार राम-राम प्रस्फुटित होना स्वाभाविक था ।

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