नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: लुका छिपी का खेल, बंदरों की तरह पेड़ों पर छलांग!

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: लुका छिपी का खेल, बंदरों की तरह पेड़ों पर छलांग!

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जब बाबा नीम करौली गाँव में रहते थे तो वहाँ के समव्यस्क युवको के साथ आपका मेलजोल बड़ गया । वे इनके साथ खेलकूद में भाग भी लेने लगे । बाबा की लीलाये यहाँ बराबर चलती थी जिनको समझ पाना किसी के बस में नहीं था । आँख मिचौली खेल में कोई जंगल में कहीं भी छिपा हो आप उसे डूढ लेते थे पर जब आप स्वंय छिपते तो अदृश्य हो जाते थे, कोई डूढ नहीं पाता था ।

जंगलों में उनका पीछा करते जब अन्य लोग उनका पीछा करते जब अन्य लोग उस पेड़ पर चढ़ते तो उपर चढ़ने पर बाबा दूसरे पेढ पर बैठे दिखते । छलाँग मार कर दूसरे पेड़ पर पहुँच जाते और किसी को दिखाई न देते । वानर की तरह एक से दूसरे पेड़ पर कूद जाते । तालाब में भी बाबा लुप्त हो जाते दिखाई न देते । ये लीलाये चलती रहती थी बाबा की ।

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