नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: हाथों को मलकर अचानक पूडीयों की उत्पत्ति

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: हाथों को मलकर अचानक पूडीयों की उत्पत्ति

बात तब की है जब लेखक थौर्नहिल रोड, इलाहाबाद में रहता था। शाम हो चुकी थी, मैं सपत्नीक बाबा के दर्शन करने चर्च लेन पहुँचा। वहाँ सब लोग भीतर प्रसाद पा रहे थे, हम लोग घर से खाकर चले थे इसलिये भीतर ना जाकर बाहरी कमरे में चले गये।

वहाँ बाबा तख्त पर अकेले बैठे थे, मैं उनके चरणों को हाथ में लेकर दबाने लगा, बाबा मौन बैठे थे ! थोडी देर वे अपने हाथों को आपस में मलते रहे, और देखते ही देखते उन्होंने दो गरम और नरम पूड़ियाँ मेरे हाथ में रख दी !

मुझे आश्चर्य तो बहुत हुआ पर उससे अधिक हुई प्रसन्नता कि उनके कर कमलों से मुझे ये प्रसाद मिला ! अनुपम प्रसाद !

मैंने उन पूडीयों को एक कागज में लपेट लिया ! और घर आकर सभी को प्रसाद का वितरण किया ! महाराज जी ने क्या सोच कर ऐसा किया और ऐसी कृपा मुझ पर की मैं समझ नही पाया, पर अपने को बहुत भाग्यशाली समझा !

जय गुरूदेव

आलौकिक यथार्थ

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