Experiences
नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: बच्चों पर फटकार को नकारा
एक बार बाबा अचानक मेरे (लेखक) के घर पधारे केवल एक आदेश देने के लिये कि बच्चों को पढ़ने के लिये मैं फटकारा न करूँ । बाबा का ह्रदय कितना द्रवित था कि वे बच्चों को पिता की प्रेमपूर्वक कटुता भी सहन नहीं कर सकते थे ।
बाबा मुझ से कहने लगे, "सब बने बनाये आते है ।" उन्होंने कितने लोगों के दृष्टान्त दिये जिन्हें मैं जानता भी नहीं था और पूछने लगे, "कि वे बड़े पदों पर कैसे प्राप्त हो गये ?" और मेरे से एक प्रश्न किया, "कर्ता कौन है ?" बात मेरी समझ मे आ गई और ये प्रश्न मेरे जीवन का मार्गदर्शन बन गया ।
बच्चों की शिक्षा सहज रूप से उनके निजी परिश्रम से पूरी हुई और बाबा की कृपा से बिना संघर्ष उनको अच्छे पद प्राप्त हुए।
जय गुरूदेव
आलौकिक यथार्थ