नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जब उन्होंने माली को एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा
महाराज जी की अनुपस्थिति में वृंदावन आश्रम से सीमेंट की कई बोरियां चोरी हो गईं। लौटते ही उन्होंने माली को बुलाया। "तुमने सीमेंट के कितने बोरे चुराए?" "नहीं महाराज जी, मैंने उन्हें नहीं लिया।" "मुझे बताओ," महाराज जी ने आगे कहा, "आपको उनके लिए कितने पैसे मिले?"
"कुछ भी तो नहीं।" "महाराज जी ने खड़े होकर माली के मुँह पर इतना ज़ोर से थप्पड़ मारा कि वह ज़मीन पर गिर पड़े। फिर महाराज जी उन्हें वहीं छोड़ कर चले गए। पाँच मिनट बाद महाराज जी ने दूसरों से पूछा, "अब वे कैसे हैं? उसे बुलाएं।" माली फिर महाराज जी के सामने आया। "क्या तुमने उन्हें चुरा लिया? कितने रुपये?"
माली ने कबूल किया और कहा कि उसे सीमेंट के लिए 250 रुपये मिले। महाराज जी आश्रम के खाते के प्रभारी की ओर मुड़े और उससे कहा, "उसे और 250 रुपये दो," और माली से, "अब, जाओ!"
माली को निकाल कर भगा दिया गया। कुछ समय बाद वे लौटे और महाराज जी के पैर छुए और अपनी पुरानी नौकरी वापस पाने की भीख मांगी। महाराज जी ने कहा, "तुम वापस आ गए! इस बार मैं तुम्हें सेंट्रल जेल में डालूंगा।" माली को लखनऊ मंदिर भेजा गया, जहां जेल के सेवानिवृत्त अधिकारी महोत्रा प्रबंधक थे।