नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जब महाराज जी एकाएक बड़ी जोर से सिसकियाँ लेने लगे और कम्बल से अपना मुँह छिपा लिया

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जब महाराज जी एकाएक बड़ी जोर से सिसकियाँ लेने लगे और कम्बल से अपना मुँह छिपा लिया

1 min read

मेरे पिताजी बाबा जी के अनन्य भक्त थे। तब बाबा जी नैनीताल हमारे घर पधारे थे । एकाएक वे बड़ी जोर से सिसकियाँ लेने लगे और कम्बल से अपना मुँह छिपा लिया। काफी देर रोने के बाद वे उठ खड़े हुए और जाने लगे। पिताजी ने रोका भी, पर वे न माने। तब मैं भी उनके साथ लग लिया ।

बाबा जी सीधे कैलाखान होते हुए पैदल मार्ग से निकल पड़े, और सीधे सेनेटोरियम पहुँच कर बड़ी तेजी से एक कमरे की ओर बढ़ उसमें घुस गये। मैंने देखा कि वहाँ एक मरीज अपनी अन्तिम साँसे गिन रहा था । बाबा जी को देखते ही वह अत्यन्त प्रसन्न होकर बोला, “महाराज, मैं बड़ी देर से आपको ही याद कर रहा था दर्शनों के लिए । आप आ गये ।” उखड़ती साँसों से इतना कहते उसने बाबा जी के ही समक्ष प्राण त्याग दिये ।

उक्त भक्त की पुकार में बाबा जी के दर्शन हेतु जो आर्तता थी, उसने बाबा जी का आसन हिला दिया । बाबा जी की इस दया-मूर्ति के दर्शन कर मेरा अन्तर भर आया।

— सुशीतल बनर्जी

Related Stories

No stories found.
logo
The News Agency
www.thenewsagency.in