नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: गंगा जी में डूबते भक्त के पिता को बाबा का सहारा
इलाहाबाद की घटना है। अन्य भक्तों के साथ मुझे भी महाराज जी विन्ध्यवासिनी माँ के दर्शनों को ले गये थे । एक तो माँ के दर्शन, वह भी महाराज जी के साथ । परम आनन्द की प्राप्ति हुई।
कुछ अरसे बाद मेरे माता-पिता भी इलाहाबाद आ गये। उन्हें प्रेरित कर मैं उन्हें भी विन्ध्यवासिनी दर्शन को ले चली। वहाँ मेरे पिताजी गंगा जी में तैरने के लिये जल में उतर गये। पर युवावस्था की बात और थी। कुछ दूर तैर कर शायद वे अपना संतुलन खो बैठे और डूबने-से लगे।
हम किनारे पर खड़े देखते रहे। देखते-देखते लगा वे अपने हाथ पानी में मार कर संतुलन ठीक करना चाह रहे हैं। पर धीरे-धीरे वे जल में नीचे जाने लगे। हम बहुत घबरा गये। थोड़ी ही देर में वे गंगा जी में गले तक डूब गये। तब मैं घबरा कर पुकार उठी महाराज' |
तभी एकाएक एक व्यक्ति मय कपड़ों के गंगा जी में कूद गया और पिताजी का हाथ पकड़ किसी तरह उन्हें किनारे खींच लाया। वे बदहवास हो चुके थे घबराहट और थकान से। हम उनके उपचार में लग गये। तभी मुझे ख्याल आया कि उस व्यक्ति के लिये सूखे कपड़े दे दूँ कि वह ठंड से बच सके। पर पलटने पर वह व्यक्ति दिखा ही नहीं बहुत ढूंढने पर भी।
बहुत अरसे बाद कैंची में महाराज जी को पूरी कथा बताकर पूछा, "महाराज, वह व्यक्ति कौन होगा ?" महाराज जी ने केवल इतना कहा, "तूने किसको पुकारा था ?" इतना ही कहकर महाराज जी ने स्पष्ट कर दिया कि वह व्यापन कौन था ! (शकुन्तला शाह)
(अनंत कथामृत से सम्पादित अंश)