नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: कम्बल से हनुमान बैंक से आए नोटों की बारिश...!
बचपन में शान्ती एक असाध्य रोग से ग्रस्त हो चली थी तब (तीसरे चौथे दशक में) ऐसे रोगों के उपचार हेतु न तो उपयुक्त विशेषज्ञ थे और न इलाज ही यथोचित हो पाता था । फिर भी वर्मा जी ने मैनपुरी जैसी जगह में भी इलाज-पानी में कोई कसर न रख छोड़ी थी अपनी एक मात्र सन्तान शान्ती के आरोग्य लाभ हेतु।
घर में शीशी-बोतलों की भरमार हो चली थी, परन्तु शान्ती अस्वस्थ होती चली गई। तब एक दिन महाराज जी आ पहुँचे और आते ही शान्ती के कमरे में जाकर बिगड़ गये कि, “मेरी लड़की को मार डाला ।"
साथ में कमरे में जितनी शीशी-बोतलें थीं उन्हें भी पटक दिया । मँहगी दवाओं की यह दुर्गत देख शान्ती की माँ आश्चर्यान्वित होने के साथ दुखी भी हो गई । तब बाबा जी ने अपने कम्बल से करेंसी नोटों की भरमार बिखेरते हुए और भी अधिक रोष में कहा, "ले, कितना खर्च तेरा इसके इलाज में : हुआ ले ले !!” शान्ती की माँ यह सब लीला देखकर और भी त्रस्त हो गईं भय से ।
तभी बाबा जी के आगमन की सूचना पाकर वर्मा जी भी आ गये कोर्ट से और यह सब देख सुनकर विनीत हो महाराज जी से क्षमा माँगने लगे। तब महान आश्चर्य से सबने देखा कि सारे करेंसी नोट गायब हो गये !! पूछने पर महाराज जी बोले, "हनुमान बैंक से आये थे, हनुमान बैंक में वापिस चले गये !!
परन्तु इस लीला के बाद ही शान्ती ने शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करना प्रारम्भ कर दिया और कुछ ही काल के भीतर स्वतः पूर्णतया स्वस्थ हो गई।