नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएं: जब दूर रूस में मुरादाबाद के एक बालक को महाराज जी के लॉकेट ने बदमाशों से बचाया !
मुरादाबाद के एक परिवार का एक बालक, संदीप राज जब वर्ष 1973 में १० ही वर्ष का था, तभी से कैंचीधाम अपने परिवारी जनों के साथ आया करता था। श्री माँ-महाराज के आशीर्वाद के फलस्वरूप वह उम्र प्राप्ति के साथ अपने शिक्षा क्षेत्र में भी सफलतापूर्वक अग्रसर होता गया, और उसे रूस के एक मेडिकल इंस्टीट्यूट में डॉक्टरी-अध्ययन हेतु स्थान भी मिल गया ।
अपनी पढ़ाई के मध्य फरवरी, सन 1974 में एक दिन वह उस रूसी कॉलेज से अपने होटल आ रहा था तो मार्ग में रात के भोजन हेतु पाव रोटी आदि खरीदने लगा। तभी उसके पीछे ३-४ बदमाश लग लिये । पर जब वह लिफ्ट में चढ़ने लगा तो उनमें से केवल एक ही व्यक्ति लिफ्ट में घुसा जिसने घुसते ही २ नम्बर का बटन दबा दिया । फलतः लिफ्ट दो नम्बर पर ही रुक गई । परन्तु दरवाजा खुलते ही उसमें उसके बाकी ३ अन्य साथी भी घुस आये और दरवाजा बन्द होते ही उनमें से एक ने बड़ा-सा चाकू निकाल कर संदीप से कहा, “जो कुछ है दे दो चुपचाप ।”
संदीप को कुछ ही पूर्व हो चुकी ऐसी ही घटना याद आ गई जब पहिचान लिये जाने के डर से गुन्डों ने एक व्यक्ति को लिफ्ट में ही मार डाला था। और यह सोचकर कि ये मुझे भी मार ही डालेंगे, भयभीत हुए संदीप ने कहा, “जो कुछ चाहते हो ले लो, पर मुझे छोड़ दो ।” तब उन्होंने पहले तो उसकी किताबें टटोलीं, फिर जेबों की तलाशी ली और जो कुछ पाया उनमें उसे निकाल लिया, घड़ी उतार ली।
तभी उनमें से (उनका सरदार सा लगने वाले) एक व्यक्ति की दृष्टि संदीप के गले में पड़ी चेन पर पड़ गई । परन्तु जैसे ही झटके से उसने चेन उतारनी चाही तभी संदीप के गले में लटकता बाबा महाराज का लाकेट भी उसके हाथ में आ गया जिसको देखते ही उसे न मालूम क्या हुआ कि वह फौरन अपने साथियों से बोल उठा, “चलो” । और वे सब उसे अगले लिफ्ट-स्टाप पर छोड़ कर चले गये !!
महाराज जी ने केवल अपने लाकेट के माध्यम से ही रक्षा कर दी संदीप की !!