नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ : जब एक भक्त महाराज जी के चित्र के आगे तीन बार जोर से चीखी और भाई हो गया जीवित

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ : जब एक भक्त महाराज जी के चित्र के आगे तीन बार जोर से चीखी और भाई हो गया जीवित

सिपाहीधारा (नैनीताल) निवासी श्री रमेश चन्द्र पाण्डे जी की कन्या, शांता तब १५-१६ वर्ष की आयु की होंगी मकान के आगे खेलता उनका भाई पप्पू एकाएक मूर्छित हो गया और थोड़ी ही देर में उसके हाथ पाँव ऐंठ गये, पुतलियों उलट गई, शरीर ठंडा पड़ गया, श्वास-प्रच्छवास बन्द हो गया। रोना-धोना मच गया।

मृत-प्राय बालक को घर वाले रोते हुए प्रांगण से घर के भीतर उठा ले गये । पुनः सचेत-सजीव करने के सभी उपाय व्यर्थ साबित हुए इतने में शान्ता जी आ गई और जब उन्होंने यह हाल देखा तो माँ की गोद से पप्पू को छीनकर पूजा घर में ले जाने लगी।

तभी सबने एतराज किया कि ऐसी हालत में (तथाकथित मृत अवस्था में) पूजा घर में क्यों ले जा रही है पर वे न मानी और पप्पू को महाराज जी के चित्र के आगे रख तीन बार जोर से चीखी महाराज ! महाराज !! महाराज !!!

बस इतना ही- न तो यह कहा कि मेरे भाई को बचाओ और न उन्हें कोसा (कि आपके रहते यह अन्धेर ?) परन्तु कुछ ही क्षणों में पप्पू के हाथ-पाँव सीधे होने लगे, पुतलियाँ भी सीधी हो गई. नब्ज वापिस आ गई. शरीर में ताप संचारित होने लगा । सन्ध्या तक बहुत कुछ ठीक हो गया पप्पू !!

दूसरे दिन बाबा जी महाराज के दर्शन करने जब शान्ता जी अपनी माँ के साथ बजरंगगढ़ गई तो महाराज जी ने केवल इतना भर कहा, कल तूने हमें तीन बार जोर से पुकारा था !!"

(अनंत कथामृत के सम्पादित अंश)

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