नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: महाराज जी की कोई भी बात अनर्गल-हास्यापद-साधारण लगने पर भी कभी भी साधारण न होती थी
विरोधाभास रूप में - कैंची निवासी भैरव दत्त तिवारी को वर्ष १९७४ में (अपनी महासमाधि के बाद) महाराज की ने स्वप्न में आदेश देकर चेतावनी दी थी कि, "देख, पार्थिव पूजन कर लेना अब की । भूलना मत ।" पार्थिव पूजन (शिवार्चन) अब श्रावण मास में ही संभव हो सकता था परन्तु महाराज जी के इस साधारण-से लगने वाले आदेश को भैरव दत्त जी ने महत्व नहीं दिया ।
फिर भी उन्हें अपनी दी गई चेतावनी की याद दिलाने को बाबा जी ने अगली १९७४ की आषाढ़ की बरसात में ऊपर से नीचे तक श्वेत वस्त्रों में प्रगट होकर पार्श्व मे बहनी उत्तरवाहिनी गंगा के किनारे इन्हें दर्शन दे दिये थे अर्ध-रात्रि के समय तिवारी जी तब गंगा जी में आई बाढ़ से प्रभावित अपने खेत में खडे थे निरीक्षण करते।
परन्तु ये तब भी न चेत पाये, यद्यपि दूसरे दिन सुबह इन्होंने बाबा जी के दर्शन की बात मंदिर में आकर माँ को भी सुनाई । किन्तु बाबा जी द्वारा निर्देशित शिवार्चन किये बिना ही ये पिठौरागढ़ चले गये तथा वहाँ एक साधारण सी बीमारी के कारण इनका शरीर शान्त हो गया ।
(बाबा जी महाराज की प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष में कही कोई भी बात अनर्गल-हास्यापद-साधारण लगने पर भी कभी भी साधारण न होता था ने भूत के लिये न वर्तमान के लिये और न भविष्य के लिये ही )