नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: बुढ़िया की बनायी मोटी रोटी और हरी सब्ज़ी...

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: बुढ़िया की बनायी मोटी रोटी और हरी सब्ज़ी...

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वर्ष १९४६ की घटना है । बाबा जी महाराज नैनीताल से काशीपुर पहुँच गये साथ में हम नौ भक्तों को लेकर । वहाँ श्री किशन चौबे के घर अपने भक्तों के साथ भरपूर प्रसाद पाया । और दिन भर अन्य भक्तों के द्वारा लाया गया भोग प्रसाद एवं दूध भी पाते रहे। इस तरह कई थाल भोग प्रसाद एवं कई सेर दूध आप दिन भर में प्राप्त कर चुके थे ।

परन्तु सन्ध्या पूर्व ही बाबा जी ने कुछ ऐसा व्यक्त किया कि उन्हें पुनः भूख लग आई है !! मुझको बुलाकर कहा कि, “वहाँ उस गली में एक बुढ़िया बैठी है। मेरा इन्तजार कर रही है। उसने मेरे लिये रोटी बनाई है, ले आ ।” मैं पता लगाता उस तंग गली में घुसा तो देखा एक बुढ़िया दरवाजे पर ही बैठी है।

अन्दाज लगाकर कि यही वह बुढ़िया होगी, मैंने उससे बाबा जी की बात कही । बुढ़िया अत्यन्त प्रसन्न हो गई और भीतर से एक मोटी-सी रोटी और हरी सब्जी ले आई। तभी बाबा जी भी स्वयं आ पहुँचे। फिर क्या था बुढ़िया तो भाव की चरम सीमा में जा पहुँची। बाबा जी ने भी हँसते हँसते, बुढ़िया की तरफ देख देख बड़े प्रेम से रोटी हाथ में लेकर खा ली !! कहाँ वे दिन भर के तरह तरह के भोग-प्रसाद और कहाँ शबरी की सूखी-मोटी रोटी !! भाव वस्य भगवान।

-- पूरनदा

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