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नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: महाराज जी की दया का सागर!
भूमियाधार मंदिर बन रहा था - केवल महाराज जी की कुटी बन पाई थी । तभी बाबा जी के पास रिपोर्ट पहुंची कि पास के एक हरिजन ने दो टिन की चादरें तथा चन्द बोरी सीमेंट चुरा कर बेच दिया है । बाबा जी ने उसे बुलाया और पूछा, "क्या तूने टिन और सीमेंट चुराया ?" उसने भी अपने सरल भाव से चोरी स्वीकार करते हुये कह दिया, "हाँ, महाराज।"
"क्यों की तुमने टिन और सीमेंट की चोरी ?" "महाराज, मेरे पास अपने भूखे बच्चों को खिलाने को कुछ नहीं था ।" सुनकर करुणानिधान द्रवित हो उठे । तुरन्त प्रबन्धकर्ता ब्रह्मचारी बाबा को बुलाकर आदेश दिया कि, “इसे एक बोरी आटा और पचास रुपये अभी दे दो !!" करुणानिधान को दया आई तो क्षमा भी स्वतः आगे आ गई। (केहर सिंह)