नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: महाराज जी हैं भक्तों के रक्षा कवच
यह लीला-प्रसंग उस समय का है, जब वृन्दावन में श्री महाराज जी की समाधि पर कार्य चल रहा था। समाधि के निर्माण में 25 सीमेण्ट की बोरियों की कमी पड़ गयी थी। भारी भाग-दौड़ और गर्मी के कारण मुझे हैजा हो गया। यह हैजा इतना भयंकर था कि मेरा बच पाना असंभव था। पर उस दिन डॉ. रामकृष्ण जी शर्मा (संपादक स्मृति सुधा) के पूज्य पिता श्री पं. गंगावल्लभ जी शास्त्री (सोरों निवासी) यहीं विराजमान थे।
जब उन्होंने मेरी हालत देखी, तो वे तुरन्त आगरा गये और श्री धर्मनारायण जी शर्मा को मेरी गम्भीर हालत का समाचार दिया। पं. श्री धर्मनारायण जी शर्मा अपनी कार से तुरन्त चल दिये और सीधे सी. एफ. सी. पहुँचे, जहाँ मैं एडमिट था। उनके पहुँचने के दो-तीन मिनट पूर्व ही श्री महाराज जी मेरी अर्धचेतना में प्रकट हो गये और कहने लगे 'तू चिन्ता मतकर, सीमेण्ट मिल जायेगा।'
सामने देखा तो पं. धर्मनारायण जी शर्मा अपने मित्रों के साथ खड़े थे। मुझे वे अपनी कार से लिटाकर रामकृष्ण मिशन हास्पिटल ले गये। वहाँ बड़े डॉक्टर साहब उनके परिचित थे और मैं 24 घण्टे में चलने फिरने लायक हो गया। मुझे सबसे ज्यादा आश्चर्य यह हुआ कि दो दिन बाद ही मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं बीमार हुआ ही नहीं था।
सतगुरु हो महाराज!
- रूप सिंह तोमर/बरेली