नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: जौनापुर में हनुमान मंदिर
महाराज जी ने अपने दिल्ली के भक्तों की इच्छा-पूर्ति हेतु एक हनुमान मंदिर वहाँ भी स्थापित करने की मंशा बना ली । परन्तु इस हेतु जो स्थान (जौनापुर गाँव) उन्होंने चयन किया वह तब बसी हुई दिल्ली से कई कि० मी० दूर एक ऐसी भूमि थी जो चट्टानों से भरी पड़ी थी तथा आस पास के कृषि फार्म वालों द्वारा त्यक्त मानी गई थी क्योंकि वहाँ पानी मिल पाना एक स्वप्न था ।
परन्तु एकादशरुद्रवतार बाबा जी के लिए कोई भी प्राकृतिक अथवा अन्य अवरोध अवरोध नहीं रह सका कभी भी । आदेश हुआ कि १५०-१६० फीट गहराई तक बोरिंग करो (जबकि आसपास ही अन्य लोगों द्वारा इस प्रकार के प्रयास कई बार विफल हो चुके थे ।)
और तब उसमें से जो जल प्राप्त हुआ उसने मंदिर निर्माण एवं मंदिर परिसर की आवश्यकताओं की ही पूर्ति नहीं की वरन आसपास की तृषावंत जनता को भी, जिसे जल हेतु बहुत दूर जाना पड़ता था, तृप्त कर दिया । यहाँ शेरावाली के अपने पंजाबी भक्तों की संतुष्टि हेतु महाराज जी ने देवी जी की मूर्ति का भी प्रतिष्ठापन करवा दिया ।