नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: उनकी वाणी में भविष्य छिपा था!
श्रद्धेय बाबा नीब करौरी महाराज राष्ट्र के उन लब्ध प्रतिष्ठित संतों में से एक थे, जिन्होंने परमब्रह्म परमात्मा से अति निकटता प्राप्त कर ली थी। शंकराचार्य ने कहा है कि जिस संत ने परमब्रह्म से साक्षात्कार कर लिया है, उसके लिए सारा जगत् नंदन वन है, सब वृक्ष कल्प वृक्ष हैं, सब जल गंगाजल हैं, उनकी सारी क्रियाएँ पवित्र हैं।
उनकी वाणी चाहे प्राकृत हो या संस्कृत वह वेद का सार है। उनके लिए सारी पृथ्वी काशी है, और उनकी सभी चेष्टाएँ परमात्ममयी हैं। संतों के लक्षणों के सम्बन्ध में श्रीमद्भागवत् में भगवान स्वयं भक्त उद्धवजी से कहते हैं कि संत सब पर दया करनेवाला, निन्दादि दोषों से रहित, सुख दुखादि द्वन्द्वों में समान भाववाला, सबका उपकार करनेवाला, विषयों से विचलित न होनेवाला, जितेन्द्रिय, कोमलचित्त, पवित्र, अकिंचन, निष्कामी, मित भोजन करने वाला, शांत, स्थिर, भागवत् परायण रहने वाला, मननशील सावधान, गंभीर, संकट में भी धैर्य रखने वाला।
भूख, प्यास, शोक, मोह, जरा, मृदु, इन छहों विकारों को जीता हुआ, दूसरों को भी मान देनेवाला दक्ष, सबसे मैत्री रखनेवाला, कारुणिक और ज्ञान वाला होता है। यह सारे गुण एक साथ बाबा नीबकरौरी महाराज में मौजूद थे। ऐसे महान ऋषि संत अनन्त विभूषित बाबा नीब करौरी महाराज के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम ।
-श्रीधर पाठक, आई. पी. एस.