बाबा नीब करोली की अनंत कथाएँ : भक्त को कर्म भोग का पाठ व उसके पुत्र की आँखें लौटाना
एक बार केहर सिंह जी के बेटे की आँख फूट गयी, कोई डाक्टर ठीक नहीं कर पा रहा था । बहुत परेशान हो गये थे केहर सिंह। औलाद का औलाद का कष्ट देखना बहुत हृदय विदारक होता है । एक दिन रात को दुखी होते हुए वे कहने लगे," भगवान मेरे पापों की सज़ा इस लड़के को क्यूँ दे रहे हो ?"
कुछ दिन बाद बाबा के दर्शनहेतु जब केहर सिंह बाबा पास गये को बाबा उनके कान में बोले ," उस रात तू क्या कह रहा था भगवान से कि मेरे पापों की सज़ा मेरे बेटे को क्यूँ दे रहे हो ? तू नहीं जानता । सब अपने कर्मों का भोग करते है । मत कहना आज से ऐसा ।"
बाद में महाराजजी के लौकिक उपचार से बच्चे को पुनः दृष्टि मिल गयी थी । बाबा ने सिर्फ़ हाथ फेरा और उसकी दृष्टि वापस आ गई । बेटे ने दुःख भोगा क्यूँकि कर्म भोग तो भोगना ही है लेकिन समय आने पर बाबा ने चुटकी में उसे ठीक भी कर दिया ।
(कोउ न काहू कर सुख दुःख दाता- निज कृत कर्म भोग सब भ्राता)
जय गुरू देव
अलौकिक यथार्थ