नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: फूल भेज अनोखे तरीक़े से वृद्ध भक्त की जान बचायी
जीवन चन्द्र गुरुरानी (हल्द्वानी) वृन्दावन आश्रम के प्रांगण में बाबा जी के समक्ष बैठे आँसू बहा रहे थे । घटना फरवरी १९७३ की है। उनकी विदाई थी आश्रम से उस रोज । उन्हें तत्काल हल्द्वानी वापिस जाने का आदेश हो चुका था । सुबह का समय था । तभी बाबा जी ने उनकी तरफ एक फूल फेंक दिया जो उनकी गोद में गिर गया । उन्होंने उसे उठा, माथे पर लगा अपनी जेब में सम्भाल लिया । रात्रि को ये हल्द्वानी का टिकट कटा कर गाड़ी में बैठ लिये अपने साथी टंडन जी के साथ ।
परन्तु बरेली पहुँचकर वे वहीं उतर गये (प्रभु प्रेरणावश) और सीधे अपने बहनोई, डा० भण्डारी के घर जा पहुँचे । वहाँ पहुँचने पर इन्हें पता चला कि श्री सर्वदमन सिंह रघुवंशी जी की माता जी अत्यन्त उग्र रक्तचाप के कारण असाधारण रूप से अस्वस्थ हुई अस्पताल में पड़ी हैं । ये उन्हें देखने तत्काल अस्पताल पहुँच गये ।
भक्त माता महाराज जी की ही याद में डूबी अपना कष्ट सह रही थीं । तभी, पुनः (प्रभु प्रेरित हो) जीवन जी ने अपनी जेब से वह फूल निकाल कर माता जी को देते हुए कहा, महाराज जी ने आपके लिये यह फूल भेजा है ।" सुनकर वे तो विभोर हो आँसू बहाने लगीं तथा उस फूल को लेकर उन्होंने बड़ी श्रद्धा-आस्था से अपने माथे पर लगा लिया ।
कहना न होगा, यही फूल उनका सही उपचार बन गया और वे स्वस्थ हो गईं ।त्रिकालदर्शी बाबाजी ने रघुवंशी जी की माता जी की बीमारी देखी, उनके द्वारा अपना स्मरण देखा और वृन्दावन में बैठे बैठे जीवन जी को माध्यम बना (पहले बरेली में उतार कर और फिर वह फूल उनसे माता जी को उक्त वचनों के साथ दिलवाकर) पूरा इलाज कर दिया उनका !!