नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : समाधि उपरांत सेवक को दर्शन
गुजरात के एक धनी व्यक्ति की दो पुत्रियाँ थी । वे अपना सारा धन बेटियों के देकर वृन्दावन बाबा के आश्रम में चला आया । हनुमान जी की मूर्ति को देखकर कहा कि अब मैं यहाँ से नहीं जाऊँगा । वहाँ आश्रम में रसोइये का काम करने लगा । तड़के ही वे काम में लग जाता था बर्तन मलने, रसोई बनाने और सफाई करने ।
उसने कभी बाबा के दर्शन नहीं किये थे , लेकिन उनमें गहरी निष्ठा थी ।उसने कई बार महाराज को सूक्ष्म शरीर में देखा था । एक रात काफ़ी देर हो गयी थी लेकिन वे रसोई मे काम कर रहा था । जब काम ख़त्म हो गया तो वो कुछ देर महाराज की समाधि के पास बैठा था । थोड़े देर में उसने अपने कन्धे पर किसी का स्पर्श महसूस किया ।
पीछे मुड़कर देखा तो बाबा खड़े थे । उन्होंने कम्बल ओढ़ रखा था और मुख मण्डल तेज़ प्रकाश से दीप्त था । वे उन्हें देखकर भाव विह्रल हो गया और रोने लगा ।उसने कई बार बाबा के दर्शन किये बताते हुए वो रो रहा था ।
जय गुरुदेव
रहस्यदर्शी
श्री नीब करौरी बाबाजी