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नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: भक्त के सच्चे हृदय से पुकारने पर भगवान बिना प्रगट हुए कैसे रह पाते
प्रभुदत्त ब्रह्मचारी जी अल्मोड़ा में श्री आनन्दमयी आश्रम में कुछ दिनों से रह रहे थे। एक शाम को एक वृद्ध महाशय आश्रम में आकर उनसे पूछने लगे, “क्या यहाँ बाबा जी आये हैं ? ब्रह्मचारी जी ने पूछा, “कौन बाबा ?”
आगन्तुक ने कहा, “बाबा नीम करौली महाराज।” तब ब्रह्मचारी जी ने कुछ हँसकर विनोद में कहा, “यहाँ तो कोई नीम करौली बाबा नहीं आये। उन्हें पुकारो तो शायद आ जायें ।”
उस बूढ़े भक्त ने अपने ही विश्वास पर जोर से महाराज जी का नाम लेकर पुकारा । तभी प्रभुदत्त जी हतप्रभ हुए आश्चर्यचकित देखते रह गये कि पुकार सुनते ही महाराज जी आश्रम के द्वार से अन्दर प्रविष्ट हो रहे हैं !! (‘स्मृति सुधा से')
(भक्त के सच्चे हृदय से पुकारने पर भगवान बिना प्रगट हुए कैसे रह पाते और अपने ही विरद की रक्षा कैसे कर पाते ?)