नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: भक्तों की भीड़... श्री राम की बानरी सेना
इस संदर्भ में माँ, जीवन्ती माँ, विनोद (और अब आठवें दशक से बाबा जी महाराज के श्री चरणों में समर्पित शाहजहाँपुर स्टेट के कुँवर ज्योति प्रसाद जी की सुपुत्री) डाक्टर (कु०) जया प्रसाद के त्याग, लगन, निष्ठा से बाबा महाराज एवं आश्रमों तथा परिकरों की निःस्वार्थ सेवा को देख-जान-समझ कर मानस में अपनी बानरी सेना के प्रति श्री राम के उद्गारों की बरबस याद आ जाती है कि
मम हित लागि जन्म इन हारे । भरतहुँ तें मोहि अधिक पियारे ।
और साथ में बाबा महाराज के उन पुराने-नये निष्ठावान भक्त सेवकों की उक्त परिप्रेक्ष्य में विभिन्न प्रकार की भक्ति और लगन से की गई/की जा रहीं सेवाओं को देखकर श्री राम के ये अनमोल वचन भी सबतें पुनि मोहि प्रिय निज दासा । जेहि गति मोरि न दूसरि आसा ।। पुनि पुनि सत्य कहहुँ तोहि पाहीं । - मोहि सेवक सम प्रिय कोउ नाहीं ॥
बाबा जी महाराज की दृष्टि में तो उनके आश्रमों-मंदिरों एवं उनके भक्त-परिकरों, उनके आश्रितों की सेवा उनकी अपनी ही सेवा होती थी/होती है ।