नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: नीब करौरी में लीलाएँ

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: नीब करौरी में लीलाएँ

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महाराज जी के नोब करौरी प्रवास के मध्य जो जो लीलायें हुई उनका कमवार अथवा पूर्ण विवरण उपलब्ध नहीं है । उनकी शरीर-लीला के बाद ही के बार बार नीब करौरी पधारने पर तथा आग्रह पूर्ण ज्ञासा न करने पर महाराज जी के प्रवास काल के कुछ जीवित बचे तथा अन्य लोगों- यथा, चौबे जी (अब दिवंगत) श्री रामसेवक गुप्ता, सुदामा, देवी जी (जिन्हें गाँव छोड़ने के पूर्व महाराज जी मंदिर का कार्यभार सौंप गये थे- अब दिवंगत.) एक वृद्ध मुसलमान भक्त, लालता प्रसाद कनौजिया आदि आदि द्वारा महाराज जी की लीलाओं के कई रोधक-अलौकिक प्रसंग सुनने को मिले । यद्यपि ४०-४५ वर्ष पूर्व की इनकी स्मृतियों कुछ धुंधली सी पड़ गई थीं परन्तु कुछ प्रसंग इन्हें बहुत कुछ स्पष्ट रूप से स्मरण थे, यथा -

खेत में बनाई गुफा में एकान्त में समाधिस्थ बाबा जी का कठोर आदेश था कि बिना उनकी आज्ञा के कोई भी गुफा में प्रवेश न करे । बाहर से ही बाबा जी की सेवा हेतु दूध, फल तथा अन्य भोज्य पदार्थ उन्हीं के द्वारा चयनित एक सेवक, गोपाल बहेलिया (हरिजन) द्वारा रख दिये जाते थे ।

बाबा जी कब बाहर आते, स्नान शौचादि से निवृत होते. यह कोई न जान पाता । एक दिन गोपाल बिना आज्ञा अपनी ही धुन में गुफा में प्रवेश कर बैठा तो वहाँ का दृश्य देखकर भयभीत हो दूध का लोटा फेंककर गुफा जी लेटे हुए है के बाहर आकर बेहोश हो गया । उसने देखा था - अर्धनग्न, समाधिस्थ-से उनके चौड़े वक्ष में खेल रहे हैं !! बाबा और बड़े-बड़े फणिधर (नाग)!

(अनंत कथामृत से सम्पादित अंश)

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