नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : ज़मीन से ऊपर

नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : ज़मीन से ऊपर

एक बार श्री होतृदत शर्मा जी से किसी ने कह दिया कि चलते वक़्त बाबा जी के पाँव ज़मीन से काफ़ी उपर रहते है । शर्मा जी वृन्दावन में एक दिन इसी शंका में सोच में पड़े थे कि बाबा जी ने उन्हें अपने साथ घूमने के लिये बुला लिया । शर्मा जी को पकड़े पकड़े बाबा जी के आश्रम के पीछे मैदान में चल निकले जहाँ गोखरू-करील की बहुतायत थी ।

स्वाभाविक था की थोड़ी दूर पर ही शर्मा जी के पाँवों मे गोखरू- काँटे घूसने शुरू हो गये और रक्त भी चालू हो गया । कांटे निकालने के लिये शर्मा जी बाबा जी को छोड़कर रूके तो अनजान बने महाराजजी ने उनसे पूछा ,"पंडित रूक क्यूँ गये ?" शर्मा जी ने कहा महाराज पाँव मे गोखरू घुस गये है । उन्हें निकाल रहा हूँ ।"

तब बाबा उन्हें देखते हुए बेले," ओहो! हमारे तो नहीं लगे काँटे ! तुम्हारे कैसे लग गये ?" और मुस्कुरा पड़े । शर्मा जी तभी लीला का सार समझ गये -- शंका दूर हो गयी । सब मन की किताब बाबा की पढ़ी होती थी । फिर लीला रच देते थे लीला धारी ।

जय गुरूदेव

अन्नत कथामृत

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