नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: बिना वहाँ रहे भी महाराज जी सब जानते थे
बाबा जी द्वारा रामदास (डा० रिचर्ड एलवर्ट) की जिज्ञासाओं का दादा को दुभाषिया बनाकर उत्तर देते वक्त कभी कभी वे क्षण भी आते थे जब दादा द्वारा बिना अनुवाद किये बाबा जी अपनी बात कह देते थे और रामदास अपनी । मुकुन्दा प्रत्यक्षदर्शी रहे इस अवसर के।
अलौकिक यर्थाथ के लेखक, राजदा द्वारा महाराज जी की वेद मंत्रों से आरती करते वक्त घबड़ाहट में मंत्र भूल जाने पर बाबा जी ने आगे के मंत्र कहकर उनकी गाड़ी चला दी ।
वृन्दावन में अथवा कैंची में अनुष्ठानों के समय वेदपाठियों कर्मकाण्डियों द्वारा अशुद्ध उच्चारण अथवा कर्मकाण्ड की विधाओं में त्रुटियों पर महाराज जी से उन्हें फटकार मिलती रहती थी उनकी ऐसी त्रुटियाँ स्पष्ट करते हुए (जब कि महाराज जी स्वयँ उस अनुष्ठान-स्थल पर विद्यमान रहते ही न थे ।)
अनुष्ठान का वरण स्वीकार किये श्री किशोरी रमणाचार्य (वृन्दावन) द्वारा शतचण्डी के मध्य पुत्र प्राप्ति हो जाने के कारण अपने अशौच की शंका किये जाने पर महाराज जी ने उन्हें शास्त्रोक्त विधाओं पर उस श्लोक की ओर ध्यान दिला दिया जिसमें वरण हो जाने के बाद ऐसे अशौच को नकार दिया गया है ।