नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: ले, इसमें तू भी पीना जल!
श्रीमती मंजू (नैनीताल) अपने विवाह के पूर्व जब भी महाराज जी के दर्शन करने आती थीं तो अपने साथ बाबा जी के लिये, अन्य भोग-प्रसाद के साथ जल भी लाती थीं जिसे महाराज जी बड़े प्रेम से ग्रहण करते थे । एक दिन उन्होंने मंजू जी को एक कटोरी देकर कहा, "ले, इसमें तू भी पीना जल ।” उन्होंने महाराज जी का यह प्रसाद बड़ी श्रद्धा-भक्ति के साथ ग्रहण किया ।
कालान्तर में उनका विवाह हो गया । ससुराल जाते वक्त वे अपने साथ उस कटोरी को भी ले गईं जिसे बड़े यत्न के साथ उन्होंने संभाल कर रखा । इधर महाराज जी ने शरीर-लीला भी कर डाली पर वे बराबर कैंची आती रहीं ।
एक बार वे एक असाध्य रोग की शिकार हो गईं । कोई इलाज उनके रोग की बढ़ती भीषणता को न रोक सका । अपना अन्त पास देख उन्होंने अपने पति और बच्चों को बुलाकर सब समझा दिया कि कहाँ क्या है और क्या करना है ।
रात को महाप्रभु का स्मरण कर वे जब सोईं तो स्वप्न में महाराज जी ने प्रगट होकर उनसे कहा, 'कटोरे से जल पी सुबह जागने पर रात्रि के स्वप्न की याद आई तो उन्होंने वह कटोरी अपने बक्से से निकलवाई, उसे साफ करवाया तथा उसमें जल भरवाकर पहले महाराज जी को भोग लगाया और फिर स्वयँ पी लिया। और उसी के बाद उनके स्वास्थ्य में अप्रत्याशित रूप से सुधार आने लगा और कुछ ही काल में वे पूर्ण रूपेण स्वस्थ हो गईं !