नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: मालपुआ खीर बनवा, कुत्तों का पेट भरेगा!

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: मालपुआ खीर बनवा, कुत्तों का पेट भरेगा!

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यह घटना सन् 1960 के जून मास की किसी तिथि की है। मैं अपने परिवार के सदस्यों के साथ नैनीताल गया हुआ था, वहीं हमें पूज्य बाबा जी के निवास का पता लगा। हम एक दिन उनके दर्शनार्थ उनके आश्रम में जा पहुँचे। उस समय हमारे साथ बिजनौर के शुगर मिल्स के मालिक सेठ कुंदनलाल भी थे। जब हम बाबा के आश्रम में पहुँचे तब बाबा ध्यानमग्न थे तथा उनके पास बैठे कुछ भक्तगण कीर्तन कर रहे थे।

थोड़ी देर बाद बाबा जी का ध्यान हम लोगों की ओर गया और वे हमसे बात करने लगे। बातचीत के बीच में अचानक सेठ कुन्दनलाल ने बाबा से कहा – “बाबा ! कोठी में आओ। वहीं प्रसाद पाओ”

बाबा ने कहा –“अच्छी बात है। आऊँगा।”

सेठ जी ने पूछा –“कब आओगे?”

बाबा ने कहा “जब माँ की इच्छा होगी।”

सेठ जी ने अपनी बात पर बल देकर कहा- “कल आ जाओ।”

बाबा ने सहज भाव से कहा –“अच्छा।”

सेठ जी ने पूछा क्या बनवाऊँ?”

बाबा ने कहा – “मिस्सी रोटी, दाल।”

सेठ जी ने बलपूर्वक कहा –“दाल रोटी नहीं। मालपुआ खीर बनवाऊँगा। जरूर आना। “

बाबा को बुरा लगा, उन्होंने झुँझलाकर कहा – “ठीक है । मालपुआ खीर बनवा। कुत्तों का पेट भरेगा।“ यह कहकर बड़े रूखे ढंग से बोले – “अच्छा उठ! बहुत देर हो गयी। जा।” हम सब बैठे रहे। बाबा स्वयं उठे और दूसरे कमरे में चले गए। बाबा के उठते ही हम सब भी उठकर नैनीताल चले आए।

दूसरे दिन सेठ जी के यहां काफी तादाद में मालपूआ खीर बनी। कुछ ही देर बाद बड़ी ज़ोर की वर्षा हुई। चारों और पानी-पानी। बाबा को लेने गयी कार बीच में ही रुक गयी। उधर मालूम हुआ बाबा आश्रम में से सुबह ही कहीं चले गए हैं, इधर भंडारगृह में चुपके से कहीं से दो कुत्ते घुस गए। वर्षा के कारण किसी को पता ही नहीं चला। बाद में पता चला तब काफी शोर मचा। और, वह आयोजन निष्प्रयोजन हो गया। इस तरह पूज्य बाबा की वाणी पूर्णतः सत्य सिद्ध हुई।

साभार त्रिलोकीनाथ वृजबाल (मथुरा)

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