नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएं: विश्वास, छोटा शब्द पर गूढ़ अर्थ वाला !
कितना अनुभव-गम्य सूक्त वाक्य है विश्वास, फलदायकम् जिसकी सत्यता-सार्थकता बाबा जी महाराज, पूर्व में भी और अब भी, जब तब की गई अपनी अलौकिक लीलाओं से पुष्ट करते रहते थे/करते रहते हैं । केवल विश्वास की अपेक्षा है उनकी ऐसी कृपा की अनुभूति एवं सुफल प्राप्त करने हेतु (यद्यपि महाराज जी यह भी कहते रहते थे कि, 'विश्वास इतनी सस्ती चीज नहीं है कि कहने-सोचने से ही मिल जाये' और भी कि, 'विश्वास चाहिये अन्ध विश्वास जिसमें तर्क-कुतर्क का कोई स्थान नहीं ।
विश्वास वो जो बजरंग बली का श्री राम में था, विश्वास वो भी जो प्रभु राम को अपने हनुमान में था, आखिर विश्वास ही तो है जो हमें पूर्णतः समर्पित होने के लिए प्रेरित करता है ।
हनुमान जी, बाबा जी महाराज एवं श्री माँ के प्रति ऐसे विश्वास को अपने अन्तर में संजोये भक्तों के जीवन में अनुभूत कुछ घटनाओं का विवरण पूर्व में दिया ही जा चुका है (जिनमें श्रीमती पुष्पा साह, श्री शिव प्रसाद घिल्डियाल, श्री ओम प्रकाश सिक्का के हार्ट अटैक की गाथा, श्रीमती श्यामा पन्त, श्रीमती शान्ता पाण्डे, श्रीमती कमला पाण्डे एवं श्री विजय साह की अनुभूत गाथायें प्रमुख हैं ।)
आगे कुछ और भी गाथायें वर्णित की जा रहीं हैं जिनमें इन भक्तों के अन्तर में व्याप्त विश्वास ने ही उन्हें महान विपत्ति से विमुक्त कर दिया । ऐसी और भी न मालूम कितनी ज्ञात-अज्ञात गाथायें होंगी ।