नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : आँखों में रोशनी लौट आयी
देव कामता, कानपुर कहते है कि उनके चाचा के आँखों का आपरेशन असफल हो गया । आँखों का घाव नहीं भर रहा था और ख़ून निकल रहा था । डाक्टर ने कहा ,"आँखें बेकार हो गयी है । ये कभी नहीं देख पाएँगे ।" उनकी बात पर आप बोल उठे ,"यदि हमारे बाबा ये बात कह देंगे तो हम आशा छोड़ देंगे ।" " डाक्टर कुछ ग़ुस्से में बोले,"हमने आप से सच्ची बात कह दी । यदि कोई इनकी आँखें ठीक कर दे तो हम उसकी टाँगों के नीचे से निकल जाएँगे।"
डाक्टर के जाने के कुछ देर बाद अचानक ही बाबा का आगमन हुआ । आपने डाक्टर की सब बात बाबा को कह सुनायी बाबा बोले "इसे कन्धारी अनार का रस पिला, आँख ठीक हो जायेगी ।" बाबा की उपस्थिति में ही अनार का रस उन्हें पिलाना शुरू हो गया । आप के घर में उस समय सुन्दर कांड का पाठ हो रहा था । बाबा पाठ सुनने दूसरे कमरे में चले गये ।उस समय लंकापूरी में सीता-हनुमान संवाद चल रहा था ।
बाबा भावावेश में आने लगे, इसलिये उन्होंने अपना कम्बल सिर से ओढ़ लिया ।थोड़ी देर में जब उन्होंने कम्बल उठाया तो उनकी आँखों से रक्त के आँसू निकल रहे थे ।इसके तुरंत बाद बाबा चले गये और आपके चाचा जी की आँखों मे आशातीत सुधार आ गया ।
जब डाक्टर ने आँखें सही देखी तो वे चकित रह गया और बाबा के दर्शनों की इच्छा व्यक्त की । पर जब वे बाबा से मिलने गये तो वे रेलगाड़ी से वापस जा रहे थे । आप स्टेशन पर पहुँचे आप लोगों ने खिड़की से ही बाबा के दर्शन किये ।
बाबा डाक्टर की सराहना करने लगे , "ये कुशल डाक्टर है , इसने तेरे चाचा की आँखें ठीक कर दी ।"और डाक्टर की आँखों में आँसु आ गये । महाराज कभी भी किसी कार्य की सफलता का श्रेय नही लेते थे, सब कुछ वंय करके श्रेय दूसरे को दिलवा देते ।
जय गुरूदेव
रहस्यदर्शी
श्री नीब करौरी बाबा जी