नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: ध्यान पर ज्ञान

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: ध्यान पर ज्ञान

ध्यान को बाबा अवश्य महत्वपूर्ण बताते थे ! पर जब कोई व्यक्ति उनके पास बैठ कर ध्यान लगाता तो वे तुरंत उसके ध्यान को तोड़ देते ! लोग उनके पाद-पदों को हाथ मे लेकर ध्यान लगाने की चेष्टा करते को कभी बाबा अपना पैर हटा लेते ! कभी वे कोई प्रश्न कर देते !

बाबा सब की क्षमता को जानते थे। इसी संदर्भ में एक बार बाबा बोले, "मस्तिष्क की एक सीमा होती है! तुम शरीर में हो ! ये चीजें धीरे धीरे प्राप्त करने की है, ऐसा न करने से पागल भी हो सकते है "।

यह सत्य है कि एकाग्र मन ही अंतः दृष्टि प्रदान करता है और यही आत्म-दर्शन है ! पर ईश्वर स्मरण और लोगों की सेवा करने वालों को ध्यान और पूजा की आवश्यकता नही है ! यह सरलतम साधन है !

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