नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: हनुमान जी के पूर्णरूपेण जागृत विग्रह की स्थापना और भीमकाय लाल मुँह बन्दर का प्रकट होना!

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: हनुमान जी के पूर्णरूपेण जागृत विग्रह की स्थापना और भीमकाय लाल मुँह बन्दर का प्रकट होना!

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इस प्रतिष्ठापन के मध्य एक अभूतपूर्व संरचना भी बाबा महाराज ने अपने इन हनुमान जी के पूर्णरूपेण जागृत विग्रह होने की पुष्टि हेतु कर दी । हनुमान विग्रह के सामने चार टोकरे भर कर बूँदी प्रसाद रखा था, तथा दो ऐसे ही टोकरे (प्रसाद के) पार्श्व में भी रखे थे जिन्हें कागज एवं पत्तलों से ढक दिया गया था । विग्रह के सामने भक्त-समाज बैठा था प्रतिष्ठापन समारोह देखता ।

प्रतिष्ठापन समारोह चल ही रहा था कि तभी एक अत्यन्त भीमकाय लाल मुँह बन्दर पीछे की दीवार में प्रगट हो गया तथा देखते देखते उसने अपना शरीर इतना सिकोड लिया कि दीवार में तीन तरंगों के पास पास तने हुए काँटेदार तारों की लगी बाड़ में से दो तरंगों के बीच से पार होता हुआ वह धम्म से मंदिर के परिक्रमा क्षेत्र में कूद गया !!

और आनन-फानन उन बूँदी वाले टोकरों में से एक टोकरे का कागज-पत्तल हटाकर उसने मुट्ठी भर बूँदी उठाई और मंदिर के पीछे चलता चौकीदार चौकी में समा गया । सब केवल हक्का बक्का हो यह तमाशा देखते रह गये पर उसे रोकने की हिम्मत किसी में न बाई ।

क्षणों बाद सबके मन में आया कि हो न हो ये हनुमान जी ही थे जो स्वयं प्रसाद ग्रहण कर ये अपने नये मंदिर की स्थापना की पुष्टि करते उसका सत्यापन कर गये !! तब कुछ लोग केले, सेव, आदि फल लेकर झोपड़ी के दरवाजे पर पहुँच फलों को भीतर फेंकने लगे उस बन्दर को आकर्षित करने ।

परन्तु जब काफी देर हो गई और बन्दर महाशय नहीं दिखे तो डरते डरते भीतर झाँककर देखा गया वहाँ कोई बन्दर न था !! झोपड़ी के पीछे की ओर केवल चहारदीवारी थी न कोई खिड़की थी, न कोई अन्य दरवाजा और न कोई रोशनदान !! तब कैसे और कहाँ गया वह भीमकाय महाबीर ? अब उसी स्थान पर श्री माँ-महाराज जी की कुटी बन गई है ।

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