नीब करोरी बाबा की अनंत कथाएँ : गधी का दूध और मर रहे युवक को जीवन दान
देवी ओयल मिल्स, हल्द्वानी में महाराज जी भक्तों के साथ घिरे बैठे थे। इतने मैं पैंट, क़मीज़ पहने तीस पैंतीस वर्ष का एक युवक दरवाज़े पर हाथ जोड़कर खड़ा हो गया । महाराज जी ने उससे पूछा, "क्या बात है ? " उसने कहा, "महाराज जी मेरा भाई बहुत बीमार है, मरने को है । वह आपके दर्शन करना चाहता है मरने से पहले ।"
इससे पहले उसका अथवा उसके भाई का महाराज जी से कोई संपर्क नहीं हुआ था । महाराज जी ने कहा, " उसे मरने दो, उसका समय पूरा हो गया है।" युवक यह सुन कर उस समय तो चला गया परंतु अगले दिन पुनः आ गया ओर बड़े ही दीन स्वर में बोला, "महाराज, मेरे भाई की अंतिम इच्छा पूरी कर दें अपने दर्शन देकर।"
फिर रो कर बोला "मैं एक मामूली मास्टर हूँ, उसका इलाज नहीं करा पाया।" तब करुणानिधान महाराज जी बोले, "अच्छा हम आएँगे, तुम जाओ।"उसे लगा कि वैसे ही बहला रहे हैं, घर कहाँ है, पता तो पूछा ही नहीं।" दूसरे ही दिन महाराज जी लम्बे लम्बे डग भरते हुए कालाढुंगी चलते चलते एकाएक रुक गये एक मकान के पास।
वहाँ से निकलकर वही व्यक्ति आया ओर महाराज जी को प्रणाम कर आपने साथ ले चला भाई के पास । महाराज जी को देखते ही वह बीमार युवक प्रसन्न हो गया ओर बोला अब मर सकूँगा शांति के साथ । उसको टीबी की बीमारी हो गयी थी ओर वह अंतिम अवस्था मैं थी ।
बाहर आ कर वह युवक महाराज जी को छोड़ने कुछ दूर तक आया । रास्ते में तीन चार गधे चर रहे थे । महाराज जी ने कहा इसके मालिक को बुलाओ । जब वह आ गया तो महाराज जी बोले, "तेरे पास बीस रुपए हैं? " पर उसके पास कहाँ से होते ? पर सब भक्तों ने मिलकर जुगाड़ बना दी । महाराज जी ने बीस रुपए गधों के मालिक को देते हुए बोले, "इन बाबूजी के यहाँ रोज सात दिन गधी का दूध पहुँचा देना । पहुँचा देगा ? " बीस रुपये देख कर वह प्रसन्न हो गया ओर बोला, " जी हाँ सरकार ।" फिर महाराज जी उस व्यक्ति की तरफ़ मुड़कर बोले, "अपने भाई को मत बताना यह गधी का दूध है, कह देना दवाई है । सात दिन मैं ठीक हो जाएगा । मरेगा नहीं !!! बड़ा आदमी बनेगा !!!!"
यह कहकर महाराज जी भक्तों के साथ आगे चल दिये । भक्तों ने बाद मैं कथनी कहा पीछा किया पता चला मृत्यु का ग्रास बनता वह युवक बिलकुल स्वस्थ हो गया ।
जय गुरुदेव।