नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : शंकर के दर्शन

नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : शंकर के दर्शन

कानपुर से महाराज देव कामता दीक्षित को बाबा ये आश्वासन देकर ले गये कि विश्वनाथ के दर्शन करवाँऊगा । बाद में बाबा दीक्षित जी को विश्वनाथ न ले जाकर ग्यानव्यापी गली ले गये । इस गली में बाबा को एक सन्यासी मिले । बाबा उनसे वार्ता करने लगे ।

दीक्षित जी समझ नहीं पा रहे थे कि बाबा किस भाषा में बात कर रहे थे । बाबा ने उस भिक्षुक को आपसे चार आने दिलवाये । इसके बाद आपको किसी व्यक्ति को बुलाने भेजा । आप जैसे ही मुड़े आपको वे व्यक्ति इधर ही आते दिखा । आप उसी समय बाबा को उन्मूख हूये पर बाबा आपको वहाँ न दिखे ।

कुछ ही क्षणों में आपने एक विचित्र दृश्य देखा । बाबा भूमि से बाहर निकल रहे है । इस तरह बाबा ने आपको उस सन्यासी को रूप में शंकर के दर्शन करा अपना वादा पूरा किया क्युकि बाबा ने आप से शंकर के दर्शन कराने का वादा किया था । पर आप को तब ऐसा कुछ बोध न हुआ ।

इस घटना के २ वर्ष बाद एक बंगाली आपसे बनारस जाने की आज्ञा लेने वहाँ उपस्थित हुआ, संयोगवश आप वही थे । बाबा ने उससे पूछा ,"काशी में क्या करेगा ?" "विश्वनाथ के दर्शन और ग्यानव्यापी में जो बन पड़े भिक्षुकों के दान करूँगा।"

" क्यूँ ?" बाबा बोले, क्योंकि ग्रन्थों में बताया गया है कि भगवान शंकर भिक्षुक के रूप में वहाँ विचरण करते है । मैं उनको पहचान तो नहीं सकता पर इस बहाने सब को कुछ न कुछ दे दूँगा । "

बाबा उस समय दीक्षित जी को ऐसे देख रहे थे जैसे कुछ स्मरण करा रहे थे । तब दीक्षित जी उस सन्यासी का भेद समझे ।

जय गुरूदेव

आलौकिक यथार्थ

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