नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएं: कैंची धाम में भागवत कथा

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएं: कैंची धाम में भागवत कथा

वर्ष 1960 में १५ जून के कैंचीधाम के समारोह के पूर्व भागवद् सप्ताह के अवसर पर मद्रास निवासिनी एक महिला, श्रीमती पुष्पा ने परीक्षित बनकर भागवत सुनी थी। उनके साथ उनके भाई श्री अमरलाल भी आये थे जो काफी अस्वस्थ चल रहे थे पर अपने को पूरे सप्ताह (७ जून से १३ जून तक) पूरी लगन से भागवद्-पूजा कथा, हवन-यज्ञ तथा भण्डारे में समर्पित करने के फलस्वरूप वे स्वयं को बहुत स्वस्थ महसूस करते रहे । १६ जून को मद्रास जाने के पूर्व अपने स्वास्थ्य के प्रति उन्हें काफी उत्साह रहा मद्रास पहुँचने पर उनके मित्रों और सम्बन्धियों ने भी उनके स्वास्थ्य में आये सुधार पर टिप्पणी की तो उन्होंने कैची आश्रम के प्रताप तथा वहाँ प्राप्त आनन्द को ही इसका मूल कारण बताया ।

परन्तु ४ जुलाई 1960 को ही अचानक उनका स्वास्थ्य पुनः बिगड़ गया वे नर्सिंग होम में भरती हो गये। उनकी ऐसी हालत देख उनके ज्येष्ठ पुत्र ने उनकी जन्म-पत्री एक प्रकाण्ड ज्योतिषी को इस हेतु दिखाई कि वे अरिष्ट निवारण हेतु कुछ विधान बतायें। पर ज्योतिषी महोदय को न तो यह बताया कि वे अस्वस्थ हैं और न यह कि वे कोमा की स्टेज में जा चुके हैं । ज्योतिषाचार्य ने गणनाकर बताया कि, “इनको तो इस वक्त कोमा की स्थिति में होना चाहिए ।

पर ये जीवित ही कैसे हैं ? इनकी मृत्यु तो १४ जून (1960) को ही हो जानी चाहिए थी परन्तु, लगता है, ये उस समय किसी ऐसे स्थान में होंगे जहाँ पर मुख्य रूप से हनुमान जी की आराधना होती है और जहाँ कोई बहुत बड़ी शक्ति काम करती है जिसके प्रभाव से इनका मृत्यु योग एक माह के लिये टल गया है। पर अब यदि १४ जुलाई (1960) का दिन भी सकुशल बीत जाये तब शायद ये बच जायेंगे ।"

परन्तु १४ जुलाई (1960) को ही अमरलाल जी ने अन्ततः शरीर छोड़ दिया । (अमरलाल जी कैंची आ ही गये थे । और उन्हीं की बहिन परीक्षित बनी थीं । बाबा जी को भागवद्-सप्ताह और १५ जून के भण्डारे के निर्विघ्न समापन हेतु अमरलाल जी को १ माह की आयुर्वृद्धि प्रदान करनी पड़ी || महामृत्यु में भी हस्तक्षेप करना पड़ा !!)

Related Stories

No stories found.
logo
The News Agency
www.thenewsagency.in