नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: और पड़ा उस मंदिर का नाम बिजली हनुमान मंदिर!

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: और पड़ा उस मंदिर का नाम बिजली हनुमान मंदिर!

श्रीमती सरस्वती साह को उनके अनुशासन के प्रति समर्पित भावों के कारण बाबा महाराज ने प्रारम्भ से उन्हें कोतवाल माई नाम दे दिया था। हनुमान जी के प्रति एक निष्ठ इस भक्त माई ने अपने जीवन में घटित बाबा जी तथा हनुमान जी की उनके और उनके परिवार के ऊपर की गई अनेक कृपा-गाथाएँ सुनाई जिनमें से दो ऐसी कृपा-गाथाओं को यहाँ उद्धृत किया जा रहा है ।

श्रीमती साह वृन्दावन आश्रम में बाबा महाराज के मंदिर में उनके समक्ष श्री हनुमान चालीसा का पाठ कर रही थीं । पास में मंदिर की परिक्रमा में बैठीं श्री माँ राम-राम लिख रही थीं अपनी राम-नाम पुस्तिका में । पाठों के पूर्व उन्होंने श्री माँ को जब प्रणाम किया तो माँ का आँचल स्वतः ही (बिना किसी वायु के झोंको के ही) कोतवाल माई के सिर पर लहरा गया। ऐसा ही तब भी हो गया जब अपने पाठ के पारायण के उपरान्त उन्होंने महाराज जी को नमन कर माँ को भी पुनः प्रणाम किया ।

तभी प्रणाम के बाद सिर उठाने पर उन्होंने सामने पूर्व की तरफ आकाश में एक चमकता हुआ तीर-सा प्रकाश पुंज देखा । न तब आकाश में बादल थे न आँधी-पानी का चिन्ह । वे यह देखकर तुरन्त खड़ी हो गई माँ से कुछ हटकर । और उनके देखते देखते वह तीर-सा प्रकाश पुंज एक गोले में बदल कर मंदिर की तरफ तीव्र गति से आने लगा। तभी मंदिर के पुजारी ने भी कहा कि बिजली गुल हो गई है ।

परन्तु बाबा जी, हनुमान जी तथा श्री माँ के आँचल ने उस विद्युत गोले की इतने पास आ जाने के बाद भी दिशा बदल कर न केवल मंदिर-आश्रम को बचा लिया वरन कोतवाल माई के प्राणों की भी रक्षा कर दी। काफी देर बाद उपचारों के उपरान्त कोतवाल माई संयत हो पाईं ।

स्पष्ट था कि वह प्रकाशपुंज आकाश-विद्युत थी । श्री माँ ने भी देखा और तभी उस वेग से आते हुए उस गोले ने अपनी दिशा ही एकाएक बदल दी !! और वह चक्कर काटता आश्रम से पूर्व में ६००-७०० गज दूरी पर एक अधबने मंदिर तथा उसमें स्थापित (परन्तु अभी अप्रतिष्ठित) हनुमान विग्रह से धमाके के साथ जा टकराया और पृथ्वी में समा गया मंदिर तथा हनुमान मूर्ति को खंड खंड करता हुआ, (यद्यपि मंदिर में लहराता झंडा फिर भी यथावत रहा !!)

परन्तु तब तक पाँवों में खड़ी सरस्वती माई को भी उस आकाश विद्युत ने अपने प्रभाव क्षेत्र में ला दिया था जिसके कारण उनका मुँह श्यामल हो गया और धक्के के कारण वे अपनी ही जगह पर खड़ी खड़ी ३-४ बार घूम गई और फिर गिर पड़ीं । परन्तु बाबा जी, हनुमान जी तथा श्री माँ के आँचल ने उस विद्युत गोले की इतने पास आ जाने के बाद भी दिशा बदल कर न केवल मंदिर-आश्रम को बचा लिया वरन कोतवाल माई के प्राणों की भी रक्षा कर दी। काफी देर बाद उपचारों के उपरान्त कोतवाल माई संयत हो पाईं ।

(इस घटना के फलस्वरूप उस खंडित मंदिर का पुनः निर्माण कराना पड़ा और उसमें प्रतिष्ठित हनुमान जी का नाम ही बिजली वाले हनुमान जी पड़ गया !!)

Related Stories

No stories found.
logo
The News Agency
www.thenewsagency.in