नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : महासमाधि के बाद, अमरीका
अमेरिका में ता़ओस आश्रम के प्रबन्धक मिस्टर जॉन केन नामक अमेरिकन ने ने भी अपना एक विचित्र अनुभव सुनाया - मेरी कार लेकर मेरा एक मित्र जब अमरीका मे घुम रहा था तो उसके पास ड्राइविंग लाइसेन्स न होने के कारण वहाँ की ट्राफ़िक पुलिस ने उसे दबोच लिया।
अपने को बचाने के लिये उसने पुलिस अफसर को कह दिया कि गाड़ी उसकी नही है, उसके दोस्त जॉन केन की है । तब पुलिस अफसर मेरी तलाश मे ताओस आश्रम मे पहुँच गयी और मेरी शिनाख्त कर मेरे नाम वारंट लिख डाला । परन्तु तभी उसकी दृष्टि ऊपर को उठ गयी और उसे दिवार पर टँगी महाराज की बडी फोटो- छवि दिख गयी ।
छवि देखते ही पुलिस वाले ने तेज आवाज मे पूछा : "यह किसका चित्र है ? कौन है ये आदमी और कहाँ है ?" "मैंने सीधा सा उतर दिया कि "यह चित्र मेरे गुरू महाराज का है, जो भारत मे रहते है !" तब वह भौचक्का सा वो पुलिसवाला बोला, "यह आदमी तुम्हारा गुरू है और भारत मे रहता है ? इसकी तो कुछ सप्ताह से भारी तलाश चल रही है !
इसके पास शायद कोई वीसा-पासपोर्ट नही है किन्तु यह कभी इस सडक पर, कभी उस चौराहे पर दिखता रहता है -- कम्बल ओढ़े, और जैसे ही हम उसे पकड़ने जाते है तो यह गायब हो जाता है ! तब पुन: कुछ सोचते हुए पुलिस अफसर बोल उठा -- "जब ऐसी शक्ति - सामर्थ्य वाला व्यक्ति तुम्हारा गुरू है तो तुम्हें पकड़ कर हम क्या करेंगे ! जाओ तुम मुक्त हो !" और ऐसा कहते हुए उसने मेरा वारंट फाड़ डाला !
जय गुरूदेव
अनंत अमृतकथा
-- पूजा वोहरा/नयी दिल्ली