बाबा कहते हैं…अशांति का कारण हमारा स्वभाव है!

बाबा कहते हैं…अशांति का कारण हमारा स्वभाव है!

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दुःख, सुख और अशांति का प्रमुख कारण अभाव, प्रभाव और स्वभाव है । दुःख का कारण श्रेष्ठ कर्मों का अभाव है, सुख का कारण श्रेष्ठ कर्मों का प्रभाव है और अशांति का कारण हमारा स्वभाव ही है। हमेशा श्रेष्ठ कर्म करते रहिए सुखी बने रहिए। सब कुछ तो बदला जा सकता है किंतु इंसान का स्वभाव मरते दम तक नहीं बदलता।

जैसे कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं होती। यदि उसे किसी सीधे डंडे में सीधा कर रस्सी में बांधकर जमीन के नीचे दबा दिया जाए और 10 वर्ष के बाद जमीन से निकाल कर रस्सी खोल दी जाए तो वो पूंछ फिर वैसे ही टेंढी हो जायेगी , ठीक उसी प्रकार दुष्ट स्वभाव वाला इंसान लाख कोशिश करे / भजन करे / धार्मिक ग्रंथों का पाठ भी करे/ सत्संग/ सिमरन/ सेवा या मालिक के साथ ही क्यों ना रहे लेकिन वो दुष्टता नहीं छोड़ पाता।

करेले को कितना भी पवित्र नदियों में स्नान कराओ, तीर्थों का दर्शन कराओ, संत सदगुरुओं का सानिध्य दिलाओ, भजन कीर्तन नाम जाप सुनाओ लेकिन वो अपना स्वभाव अर्थात कड़वापन कभी नहीं छोड़ पाता। स्वभाव बदलने की दवा तो किसी डाक्टर, वैद्य, हकीम, मेडिकल स्टोर पर भी नहीं मिलती। अपने स्वभाव के कारण मनुष्य हमेशा अशांति में ही जीता है सब कुछ होते हुए भी वो घर, परिवार, समाज किसी का भी प्रिय नहीं बन पाता।

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