Devotion
बाबा कहते हैं: धनवान होते ही अवगुण आ ही जाते हैं …
संसार में वैभव रखना, धनवान होना कोई बुरी बात नहीं है। ये भी सत्य है कि जितने अवगुण हैं वो धनवान होते ही अपने आप आ जाते हैं । किंतु यदि धन को धर्म में, परोपकार में, सेवा में, मानवता में, दूसरों की भलाई में तथा शुभ कार्य करने में लगाया जाय तो इससे हमारा भविष्य नितांत सुखदायक हो सकता है ।
बुराई तो धन के अभिमान में डूब जाने और उससे मोह करनें में है । यदि कोई मनुष्य धनी होते हुए भी मन से पवित्र और उससे अलिप्त रहे तो वह एक प्रकार का साधु ही है । जल में कमल की तरह निर्लिप्त रहने वाला कर्मयोगी साधु के लिए तो उसका घर ही उसकी तापो भूमि है । उससे भर और कोई साधू है ही नहीं ।