नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: खोल दे आँखें । अब क्यों बन्द किये हैं ?

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: खोल दे आँखें । अब क्यों बन्द किये हैं ?

महाराज जी के जीप के ड्राइवर रामानन्द की आँखों में वैसे ही धुंधलापन छाया रहता था। उस पर भी उस रोज दिल्ली से वृन्दावन यात्रा के समय तेज वर्षा हो रही थी और दृष्टिहीनता व्यापी थी।

परन्तु बाबा जी जब भी किसी गाड़ी में बैठते थे वह उन्हीं के नियंत्रण में रहती थी (जैसा) कि कई अन्य घटनाओं से स्पष्ट है।) मार्ग में एक स्थान पर सड़क में गहरापन था ऊपर से जाते रेल मार्ग के कारण (जिसके स्थान पर अब पुल ओवर ब्रिज बन चुका है।) वर्षा के कारण वह बुरी तरह पानी से भर चुका था इतना कि उसमें से होकर निकलने पर गाड़ियों आधी दूब कर बेकार हो जाती।

अतः दिल्ली से आने वाली गाडियां भी वापिस हो रही थी और मथुरा से आने वाली भी। रामानन्द ने भी दिल्ली वापिस नोट चलने की बाबा जी से आज्ञा माँगी तो बाबा जी ने कहा, "आँख बन्द कर ले और आगे बढ़ा दे गाड़ी को ।" रामानन्द ने यहीं किया और तब बाबा जी ने कहा, “खोल दे आँखें । अब क्यों बन्द किये हैं ?" आँखें खोल रामानन्द ने पाया कि गाड़ी उस पार होकर चल रही है ।

(रामानन्द द्वारा श्री केहर सिंह को सुनाई घटना)

Related Stories

No stories found.
logo
The News Agency
www.thenewsagency.in